Wednesday, January 23, 2019

Ghazal By Praveen Kumar Pandey (Author)

ग़ज़ल 

मेरे दुःख दर्द की दवा हो तुम,
मेरी साँसों में चलती महकदार हवा हो तुम,
मगर अब कैसे कहें हम दुनिया से कि,
आजकल मुझसे थोड़ा खफ़ा हो तुम ।

वैसे हमें तो कभी नहीं लगा मगर,
ना जाने क्यों लोग सोचते हैं कि बेवफ़ा हो तुम ।

इन गीत और ग़ज़लों में तुम्हारा नाम कहीं भी नहीं,
लेकिन मेरी कलम कि अनकही एक अफ़वा हो तुम ।

तुम्हारे लिए और क्या कहूँ बस इतना समझ लो,
कि जैसे मीठी शक्कर और घी में घुली रवा हो तुम ।

मगर अब यह प्रवीण दूसरों से कैसे कहे,
कि आजकल मुझसे थोड़ा खफ़ा हो तुम ।

                                        _pk_Nobody_(Me)