_pk_Nobody's_Writings
Monday, June 24, 2019
Sad Shayari
न जाने अब तुम्हारी फ़िकर क्यों नहीं होती,
तुमसे गुफ्त-गुं करने की बेताबी क्यों नहीं होती,
मरी नहीं हो तुम, अभी भी ज़िंदा ही हो,
मगर अब तुम्हारी ख़ामोशी से
मुझे कोई दिक्कत क्यों नहीं होती ।
Written By: _pk_Nobody_
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