Sunday, September 29, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

वो नादान बड़ी ख़ुशी से मोहब्बत में लुटने चला है,
मगर उसे खबर नहीं कि अपनी सोहबत बिगाड़ने चला है, 
लाख समझाया उसे लेकिन वो नहीं समझा, 
बेवकूफ़ बिन कश्ती के ही दरिया पार करने चला है|

माना कि इश्क बहुत खूबसूरत एहसास है, 
मगर इसमें पड़ कर ना जाने क्यों वो मरने चला है|

घड़े के जैसे टुटा हुआ दिल लेकर, 
वो उसमें अधूरे प्यार के किस्से को भरने चला है|

वो अपने माँ-बाप की ममता को नकारता आया है, 
मगर आज किसी हसीना पर हद से गुज़रने चला है|

अच्छी-खासी मस्त मौला ज़िन्दगी जी रहा है, 
फिर पता नहीं क्यों किसी लड़की के चक्कर में उजड़ने चला है|

_pk_Nobody_

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