मजाक-मस्ती और सजा भी तुम ही हो,
जो मुझे संभाल सके वो शख़्स भी तुम ही हो,
मेरी दोस्त हो या इश्क़ उसका तो पता नहीं,
लेकिन मेरी बत्तीमीज़ियों की वजह भी तुम ही हो ।
तुम्हारा नूर सा चेहरा तारीफों का मोहताज़ नहीं,
मगर मेरी रातों के आसमां का चाँद भी तुम ही हो ।
बकने को तो मैं कभी भी कुछ भी बक देता हूँ तुमसे,
पर कसम से मेरी आवारगी का कारण भी तुम ही हो ।
यूँ तो रोज़ कई आती जाती रहती हैं मेरी ज़िन्दगी में,
मगर मेरे अंदर ठहर के चलने वाली फ़िज़ा भी तुम ही हो ।
तुम्हारा नूर सा चेहरा तारीफों का मोहताज़ नहीं,
मगर मेरी रातों के आसमां का चाँद भी तुम ही हो ।
बकने को तो मैं कभी भी कुछ भी बक देता हूँ तुमसे,
पर कसम से मेरी आवारगी का कारण भी तुम ही हो ।
यूँ तो रोज़ कई आती जाती रहती हैं मेरी ज़िन्दगी में,
मगर मेरे अंदर ठहर के चलने वाली फ़िज़ा भी तुम ही हो ।
Written by: _pk_Nobody_