Saturday, September 28, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

क़ाग़ज़ और कलम का भी कितना अज़ीब रिश्ता है,
क़ाग़ज़ तब तक कोरा है जब तब कलम उस पर नहीं घिसता है,
रंग की बात करें तो दोनों एक-दूसरे से काफ़ी जुदा हैं,
पर दोनों के मिल जाने से ही अच्छे अच्छों का दिमाग पिसता है।

लोग जानबूझकर अपना वक़्त बर्बाद करते हैं,
फिर खुद ही चिल्लाते हैं ये समय इतना क्यों रिस्ता है? 

उनसे परेशां मत हो जो तेरी पीठ पीछे बात करते हैं,
वो तेरी बात करते हैं क्यूंकि यह तेरी कमाई प्रतिष्ठा है।

बनाने वाले ने भी तुझे कितना हसीन बनाया है,
ना जाने वो भगवान ही है या कोई फरिश्ता है।

ये प्रवीण हर बात का जवाब मुँह पर ही दे सकता है,
मगर देता नहीं क्यूंकि मेरी परवरिश में बहुत शिष्टा है।

    _pk_Nobody_

Friday, September 27, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल

ज़िन्दगी की करवटें हमें बहुत कुछ सिखा जाती है,
ख़ुशी और गम का प्याला एक साथ पिला जाती है,
ज़िन्दगी हमारे ज़ज़्बातों की क़दर तो करती है,
मगर आखिरी वक़्त आने पर मिट्टी में मिला जाती है

रिश्ते कितनी भी शिद्दत से क्यों ना निभा लो,
पर सामने वाले की फ़ितरत दिमाग की नस हिला जाती है

जिन्हें आप बहुत शरीफ़ और मासूम समझते हैं,
अक़्सर उन्हीं के हरक़तें आपके मुहँ को सिला जाती है

कहने को तो ज़िन्दगी एक खूबसूरत सफ़र है,
लेकिन ये सफ़र आपको बहुत से लोगों का ज़हर पिला जाती है

ज़िन्दगी हमारे ज़ज़्बातों की क़दर तो करती है,
मगर आखिरी वक़्त आने पर मिट्टी में मिला जाती है

                                                                        _pk_Nobody_

Tuesday, September 24, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल
तेरी मजबूरियों की वजह से ये इंसां कहीं बेनाम न हो जाए,
हमारी पनपती मोहब्बत कहीं नीलाम हो जाए,
एतिहातन थोड़ी कोशिश तो करके देखते हैं,
वगरना हमारे अनकहे अलफ़ाज़ कहीं सरेआम न हो जाए!

मुझे पता है, हर चीज़ सलीके से होती है,
पर सलीकों से कहीं हमारा इश्क़ बिन गुठली के आम न हो जाए!

माना कि हम बात-बात पर लड़ते रहते हैं,
लेकिन किसी दिन कहीं हमारे दिलों के बीच कत्लेआम न हो जाए!

मुझे ख़बर है कि मेरे लिखे हर लफ्ज़ तेरे अंदर तक उतरते हैं,
लेकिन तुम्हारे कारण कहीं मेरी मोहब्बत की कलम बदनाम न हो जाए!

                                                                       _pk_Nobody_