Sunday, September 29, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

वो नादान बड़ी ख़ुशी से मोहब्बत में लुटने चला है,
मगर उसे खबर नहीं कि अपनी सोहबत बिगाड़ने चला है, 
लाख समझाया उसे लेकिन वो नहीं समझा, 
बेवकूफ़ बिन कश्ती के ही दरिया पार करने चला है|

माना कि इश्क बहुत खूबसूरत एहसास है, 
मगर इसमें पड़ कर ना जाने क्यों वो मरने चला है|

घड़े के जैसे टुटा हुआ दिल लेकर, 
वो उसमें अधूरे प्यार के किस्से को भरने चला है|

वो अपने माँ-बाप की ममता को नकारता आया है, 
मगर आज किसी हसीना पर हद से गुज़रने चला है|

अच्छी-खासी मस्त मौला ज़िन्दगी जी रहा है, 
फिर पता नहीं क्यों किसी लड़की के चक्कर में उजड़ने चला है|

_pk_Nobody_

Saturday, September 28, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

क़ाग़ज़ और कलम का भी कितना अज़ीब रिश्ता है,
क़ाग़ज़ तब तक कोरा है जब तब कलम उस पर नहीं घिसता है,
रंग की बात करें तो दोनों एक-दूसरे से काफ़ी जुदा हैं,
पर दोनों के मिल जाने से ही अच्छे अच्छों का दिमाग पिसता है।

लोग जानबूझकर अपना वक़्त बर्बाद करते हैं,
फिर खुद ही चिल्लाते हैं ये समय इतना क्यों रिस्ता है? 

उनसे परेशां मत हो जो तेरी पीठ पीछे बात करते हैं,
वो तेरी बात करते हैं क्यूंकि यह तेरी कमाई प्रतिष्ठा है।

बनाने वाले ने भी तुझे कितना हसीन बनाया है,
ना जाने वो भगवान ही है या कोई फरिश्ता है।

ये प्रवीण हर बात का जवाब मुँह पर ही दे सकता है,
मगर देता नहीं क्यूंकि मेरी परवरिश में बहुत शिष्टा है।

    _pk_Nobody_

Friday, September 27, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल

ज़िन्दगी की करवटें हमें बहुत कुछ सिखा जाती है,
ख़ुशी और गम का प्याला एक साथ पिला जाती है,
ज़िन्दगी हमारे ज़ज़्बातों की क़दर तो करती है,
मगर आखिरी वक़्त आने पर मिट्टी में मिला जाती है

रिश्ते कितनी भी शिद्दत से क्यों ना निभा लो,
पर सामने वाले की फ़ितरत दिमाग की नस हिला जाती है

जिन्हें आप बहुत शरीफ़ और मासूम समझते हैं,
अक़्सर उन्हीं के हरक़तें आपके मुहँ को सिला जाती है

कहने को तो ज़िन्दगी एक खूबसूरत सफ़र है,
लेकिन ये सफ़र आपको बहुत से लोगों का ज़हर पिला जाती है

ज़िन्दगी हमारे ज़ज़्बातों की क़दर तो करती है,
मगर आखिरी वक़्त आने पर मिट्टी में मिला जाती है

                                                                        _pk_Nobody_