ग़ज़ल
ठंड लगी तो अपनी आग खुद जलाऊंगा,
किसी और के चूल्हे से कोयला नहीं चुराऊंगा,
कटनी होगी ज़िन्दगी तो यूँ ही सबे हिज़्र कट जाएगी,
मगर दूसरे की जगह पर अपना आशियाना नहीं बनाऊंगा.
उन्हें मेरी वजह से अगर कोई मसला हुआ तो,
लड़कों की कतार से मैं ही सबसे पहले हट जाऊंगा.
तुम मेरे जो भी राज़ जानना चाहती हो,
वो सारे राज़ मैं ही खुद खुलकर तुमको बताऊंगा.
न ही चाँद और न ही सितारों के वादे करता हूं,
मैं तो बस तेरे बग़ीचे में अपने दो-चार फूल खिलाऊंगा.
ठंड लगी तो अपनी आग खुद जलाऊंगा,
किसी और के चूल्हे से कोयला नहीं चुराऊंगा.
_pk_Nobody_