ग़ज़ल
अगर मुल्क दोनों का है तो दोनों होना चाहिए,
हिन्दुओं को मस्ज़िद से और मुसलमानों को मंदिर से प्यार होना चाहिए,
अरे छोड़ो सियासत के फालतू पैंतरे आजमाना,
राम और रहीम दोनों के आबरू की बराबर इज़्ज़त होना चाहिए|
कौन फ़ैसला करेगा ये भी तय कौन करेगा,
न्यायाधीश भी सभी पक्षों के मुताबिक़ होना चाहिए|
इस पूरे बवाल का परिणाम जो कुछ भी हो,
लेकिन वो क़ुबूल हर किसी को होना चाहिए|
पंचायतों और मसलों को क्यों ना किनारे रख कर,
उस विवादित जमीं पर अविश्वसनीय हिंदुस्तान होना चाहिए?
_pk_Nobody_
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