ग़ज़ल
जो नियत से पढ़ी जाए उसे नमाज़ कहते हैं,
जो बातें दिल के तिजोरी में रखी जाए उसे राज़ कहते हैं,
हमें अपने मुल्क के सभी धर्मों पर नाज़ ही तो है,
इसलिए कश्मीर को आज भी हिंदुस्तान के सर का ताज कहते हैं.
बाबू, सोना, जानू, डार्लिंग तो आम अलफ़ाज़ हैं,
हम तो अपनी वाली को प्यार से बेग़म जान कहते हैं.
जो आपके साथ ही रह कर आपसे चालबाज़ी करे,
उन नालायकों को सबसे बड़ा धोखेबाज़ कहते हैं.
जिसे लोग हमारा अंत समझते हैं,
हम उसे ही दबी जुबां में अपना आगाज़ कहते हैं.
और जो दुश्मनों पर कभी भी फट पड़े,
उसे ही तो हिंदुस्तानी सेना की गाज कहते हैं.
जो नियत से पढ़ी जाए उसे नमाज़ कहते हैं,
जो बातें दिल के तिजोरी में रखी जाए उसे राज़ कहते हैं,
हमें अपने मुल्क के सभी धर्मों पर नाज़ ही तो है,
इसलिए कश्मीर को आज भी हिंदुस्तान के सर का ताज कहते हैं|1|
_pk_Nobody_