ज़िन्दगी की जवानी को कुछ इस कदर जीना चाहता हूँ,
प्यास लगे तो खुद की मेहनत का पसीना पीना चाहता हूँ,
जिन्हे आज भी लगता है कि मेरी मंजिलें छोटी हैं,
कसम से बस उन्हीं लोगों का यह गुरुर तोड़ना चाहता हूँ।
शांत समंदर में कोई भी हाँथ-पैर मार ले,
मगर मैं तो उठती ज़िद्दी लहरों से जंग लड़ना चाहता हूँ।
जो रिश्ते हमेशा मेरा गला घोटने में लगे रहते हैं,
उन्ही रिश्तों में रहकर मैं उन्हें खुश रखना चाहता हूँ।
मीठा तो अधिकतर लोगों को पसंद ही होता है,
लेकिन मैं नीम सी कड़वी पहचान बनाना चाहता हूँ।
कदम-कदम पर ठोकरों से ही क्यों ना सामना होता रहे,
लेकिन मैं बार-बार गिरकर भी हर दफ़ा संभलना चाहता हूँ।
ज़िन्दगी की जवानी को कुछ इस कदर जीना चाहता हूँ,
प्यास लगे तो खुद की मेहनत का पसीना पीना चाहता हूँ।
_pk_Nobody_
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