Monday, October 7, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

ज़िन्दगी के हर दुःख-दर्द में साथ तेरा हो, 
उड़ूँ आसमान में लेकिन तुम ही मेरा बसेरा हो, 
जब भी नाराज़ होगे मना लेंगें तुम्हें, 
क्योंकि तुम ही मेरी अँधेरी रातों का सवेरा हो|

मेरी हर ख़ुशी का एक हिस्सा तुम्हारा हो, 
और तेरी मुसीबतों का पहाड़ सिर्फ़ मेरा हो|

मुझे हर वक़्त भले ही तूफानों का क्यों ना सामना करना पड़े, 
मगर तेरी ज़िन्दगी हर लम्हा बस ख़ुशी का दशहरा हो|

जब भी यह प्रवीण कभी किसी चीज़ में उलझ जाए, 
तो तेरे पास मेरे लिए दुनिया भर के मशवरा हो|

ज़िन्दगी हर दुःख-दर्द में साथ तेरा हो, 
उड़ूँ आसमान में लेकिन तुम ही मेरा बसेरा हो|

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