Tuesday, October 8, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल

इनको हिफ़ाज़तों के पिंजरे अब अखरने लगे हैं, 
नए परिंदें भी अपनी आसमान की  आज़ादी माँगने लगे हैं, 
कल तक थे जो बच्चे गुड्डा-गुड़ियों से खेलते, 
वो आज तलवारों और कट्टों की फरमाइशें करने लगे हैं|

इंसान उन्नति तो बहुत तेज़ी से कर रहा है, 
लेकिन ये इंसान ना जाने क्यों आपस में मारने-मरने लगे हैं|

आज के युवा असली रिश्तों नातों को भूलकर, 
दूसरी चीज़ों पर अपने ज़ज़्बातों को सजाने लगे हैं|

एहसास, स्पर्श, भावनाओं की अब कोई क़द्र नहीं रह गई, 
आज के लोग तो बाज़ार में बिकने वाले खिलौने से ही मचलने लगे हैं|

इस प्रवीण ने सारी ज़िन्दगी गर्दन झुका कर गुज़ारी है, 
फिर भी ना जाने क्यों कुछ लोग हमसे भी अकड़ने लगे हैं|

इनको हिफ़ाजतों के पिंजरे अब अखरने लगे हैं, 
नए परिंदें भी अपनी आसमान की  आज़ादी माँगने लगे हैं|

_ pk_Nobody_

Monday, October 7, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

ज़िन्दगी के हर दुःख-दर्द में साथ तेरा हो, 
उड़ूँ आसमान में लेकिन तुम ही मेरा बसेरा हो, 
जब भी नाराज़ होगे मना लेंगें तुम्हें, 
क्योंकि तुम ही मेरी अँधेरी रातों का सवेरा हो|

मेरी हर ख़ुशी का एक हिस्सा तुम्हारा हो, 
और तेरी मुसीबतों का पहाड़ सिर्फ़ मेरा हो|

मुझे हर वक़्त भले ही तूफानों का क्यों ना सामना करना पड़े, 
मगर तेरी ज़िन्दगी हर लम्हा बस ख़ुशी का दशहरा हो|

जब भी यह प्रवीण कभी किसी चीज़ में उलझ जाए, 
तो तेरे पास मेरे लिए दुनिया भर के मशवरा हो|

ज़िन्दगी हर दुःख-दर्द में साथ तेरा हो, 
उड़ूँ आसमान में लेकिन तुम ही मेरा बसेरा हो|

_pk_Nobody_

Sunday, October 6, 2019

New Ghazal By Praveen Kumar Pandey

ग़ज़ल 

तू हर मोड़ पर एक नया सवाल करती है, 
गलती से भी रूठ जाए तो बड़ा बवाल करती है, 
मेरे लिए तुझसे ज्यादा खूबसूरत चीज और कुछ भी नहीं, 
शायद इसलिए ए जिंदगी तू बेहद अनोखे कमाल करती है. 

ए जिंदगी अगर तुझसे मोहब्बत हो जाए तो, 
तू हर मोड़ पर सही गलत का ख्याल करती है. 

तू किसी के नसीब में गमों का पहाड़ देती है, 
तू किसी को ताह उम्र के लिए मालामाल करती है. 

जिन्हें जिंदगी से अक्सर शिकायतें रहती हैं, 
तू उनके लिए भी कुछ ना कुछ धमाल करती है. 

यह जिंदगी इस प्रवीण ने तुझ से बहुत कुछ सीखा है, 
तभी शायद तू मेरे हर फैसले का दिल से इस्तकबाल करती है.

_pk_Nobody_